Neev Ninety - Naitik Mulyon Ki Sampatti
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Type
Book
Authors
Tejparkhi ( Sirshree )
ISBN 13
9789380582306
Category
Self Help Treasures
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Publication Year
2011
Publisher
Wow Publishings Pvt. Ltd., India
Pages
224
Description
"नींव यानी जड़ या आधार। अगर किसी मकान की नींव कमजोर होगी तो उसे धराशाई होने में देर नहीं लगेगी। उसी प्रकार यदि इंसान के चरित्र या अंत:करण की नींव मजबूत नहीं है तो उसका पतन निश्चित ही है।
इस पुस्तक में इंसान की तुलना एक पुस्तक से की गई है। जिस प्रकार 10 प्रतिशत कवर और 90 प्रतिशत पृष्ठों से निर्मित एक पुस्तक की सार्थकता अंदर के पृष्ठों में दी गई जानकारी से प्रमाणित होती है, ठीक वैसे ही इंसान का बाह्य रूप (10%) उसके अंत:करण (90%) की सार्थकता से ही स्पष्ट होता है। इसी विषय पर केंद्रित सरश्री की पुस्तक ""नींव नाइन्टी' पाठकों के सर्वांगीण विकास की दिशा में मील का पत्थर है। पुस्तक में संपूर्ण चरित्र सौगात का सूत्र निर्धारित किया गया है। इसके अतिरिक्त नींव नाइन्टी मजबूत करने के सभी पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है। जिससे पाठक अपने मानसिक, बौद्धिक, शारीरिक और आध्यात्मिक परिपक्वता को नया आयाम देकर समाज तथा देश के लिए प्रेरणा की जीवंत मिसाल बन सकते हैं।
पुस्तक का मूल उद्देश्य पाठकों के अंदर छिपे सद्गुणों को विकसित कराना है, जिससे वे पृथ्वी लक्ष्य आसानी से प्राप्त कर सकें। इसी उद्देश्य को साकार करने के लिए पुस्तक में महात्मा गांधी, मदर टेरेसा, विवेकानंद और संत तुकाराम जैसे महापुरुषों और विभिन्न धर्मों की शिक्षाओं का हवाला दिया गया है। पुस्तक में हर बात इतनी बारीकी से समझाई गई है कि पाठक आसानी से इसका लाभ लेकर अपना और औरों का जीवन सार्थक कर सकते हैं। "
इस पुस्तक में इंसान की तुलना एक पुस्तक से की गई है। जिस प्रकार 10 प्रतिशत कवर और 90 प्रतिशत पृष्ठों से निर्मित एक पुस्तक की सार्थकता अंदर के पृष्ठों में दी गई जानकारी से प्रमाणित होती है, ठीक वैसे ही इंसान का बाह्य रूप (10%) उसके अंत:करण (90%) की सार्थकता से ही स्पष्ट होता है। इसी विषय पर केंद्रित सरश्री की पुस्तक ""नींव नाइन्टी' पाठकों के सर्वांगीण विकास की दिशा में मील का पत्थर है। पुस्तक में संपूर्ण चरित्र सौगात का सूत्र निर्धारित किया गया है। इसके अतिरिक्त नींव नाइन्टी मजबूत करने के सभी पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है। जिससे पाठक अपने मानसिक, बौद्धिक, शारीरिक और आध्यात्मिक परिपक्वता को नया आयाम देकर समाज तथा देश के लिए प्रेरणा की जीवंत मिसाल बन सकते हैं।
पुस्तक का मूल उद्देश्य पाठकों के अंदर छिपे सद्गुणों को विकसित कराना है, जिससे वे पृथ्वी लक्ष्य आसानी से प्राप्त कर सकें। इसी उद्देश्य को साकार करने के लिए पुस्तक में महात्मा गांधी, मदर टेरेसा, विवेकानंद और संत तुकाराम जैसे महापुरुषों और विभिन्न धर्मों की शिक्षाओं का हवाला दिया गया है। पुस्तक में हर बात इतनी बारीकी से समझाई गई है कि पाठक आसानी से इसका लाभ लेकर अपना और औरों का जीवन सार्थक कर सकते हैं। "
Number of Copies
1
Library | Accession No | Call No | Copy No | Edition | Location | Availability |
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Main | 23 | 1 | Yes |